धुँआ हूँ............. धड़कन हूँ
Wednesday, January 7, 2009
बहरा
देर तक बातें तुम्हारी
इतनी बार सुनी है.
के अब जब याद आती हो..
बहरा हो जाता हूँ....
गूंजने लगते हैं
सारे मीठे-प्यारे अल्फाज़
सौ दिनों में ज़िन्दगी तुम्हारी
मेरे दिनों को हज़ार कर गयी..
तुम बोलती गयी इतना
के मेरे अंतर को
खूबसूरती से बहरा कर गयी!!
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