Wednesday, January 28, 2009

ये तेरी आँखें न होती

ये तेरी आँखें होती
बस किनारे बाजुओं के
देखता मैं और तुमको
सोच लेता ,भांप जाता

जो समझता वो मैं अपने
पास रखता भूल जाता
पूछती बस तुम भी कुछ ना
ना मैं तुमको कुछ बताता

मैं नहीं कहता कभी कुछ
वक्त को कुछ ढूँढना था
बस तुम्हारी आंखों से वो
ढूंढ लेता ... चुप हो जाता