Tuesday, April 21, 2009

जब भी वो पहाडों से गोता लगाता है

उतार नहीं पाता
छत
से
बादलों
को ..
ना ही ख़ुद
बादल

बन
पाता है ..!!
शायद इसीलिए
पहाडों से गोता लगाता है ..!!!

पत्थरों को खुरचकर
जज़्बात

नहीं निखार पाता
और उसे
पत्थर
तराशना
नहीं
आता है ..!!
फ़िर क्यूँ ..
हवा में ही रेत हो जाता है ?

जब भी वो
पहाडों से गोता लगाता है...
हवा में ही रेत हो जाता है ..!!!