मैं खुद तुम्हारे पास आया हूँ..
थोड़ी तो मदद करो दो..
अब ये गुस्सा होने का नाटक बंद करो..
और चुपचाप चाय ले आओ मेरे लिए..
"नहीं लुंगी.. नहीं लुंगी.. नहीं लुंगी
जब तक के गिद्गिदाकर माफ़ी नहीं मांग लेते.."
ऐसी बात है?
"हाँ बिलकुल ऐसी ही बात है.."
वैसे एक बात बताऊँ..
कल तुम अपनी diary
मेरे घर पर ही भूल आई थी...
"तो?"
तो क्या..
मैंने सब-कुछ पढ़ लिया..
"सच्ची??"
हाँ.. हाँ..
"तुम बड़े गंदे हो...
पर बताओ तो सही तुमने ख़ास ऐसा क्या
पढ़ लिया..
जो मैंने तुम्हे नहीं बताया हो.. बोलो.. "
यही तो बात है...
तुम मुझसे कुछ छुपाती ही नहीं हो..
अरे कुछ तो होना चाहिए..
जो मुझे तुमें interested रखे..
"वाह जी.. अब आपको interested रखने के लिए
मुझे क्या करना पड़ेगा..?"
अरे ज्यादा डिमांड थोड़े ही ना कर रहा हूँ
बस चाय-biscuit खिला दिया करो यदा-कदा..
बंदा खुश...!!!
"अब बेशर्मों की तरह आ ही गए हो तो.."
तो गिड़-गिड़ाने का plan cancel..
"पहले चाय पी लेते है.. फिर सोचेंगे..!!"
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