आधी रात है बीत चुकी ,अब आधी के भी बाद;
मेरी "अ-ब-ब-ब", तेरी उबासी, करती है फरियाद।
बातें सुन ली, बातें कर ली, अब बातों की बात;
सो जा मुन्नी, डर जा थोडी, बहुत अँधेरी रात।
सुबह उठाना सूरज को, चमका दांतों को white
बस कहना है GOODNIGHT!!!
कभी फ़ोन पर गाड़ी टपके, कभी भीड़ की साज़;
कभी तुम्हारे heels की खट-खट, office की आवाज़ ।
कभी तुम्हारे signals कच्चे, कभी फ़ोन डिस्चार्ज;
कभी तुम्हारे bill में प्रॉब्लम, और मेरा रिचार्ज।
बहुत दिनों से heavy था, दिल आज हुआ है light
I feel its a GOOD-night!!!
तुम्हे हूँ कहता "तुम हो पागल", कहती "चुप हो जा "!!
तुम्हे मैं कहता "नालायक हो", कहती "हाँ" "हाहा" !!
तुम्हे हूँ कहता "James Bond मैं " , कहती "हूंह अच्छा"
तुम्हे हूँ कहता "हुस्न-ओ-परी तुम", दिल में " हाँ हाँ हाँ"।
पर खाने के सामान जो लाऊं, उसमें तुमको fight
बस रहने दो Good-Night!!!
चेहरे पर थी हंसी elastic, मुझे है इतना याद
चेहरा जो तुम लाती थी, सौ मन सो-सो के लाद।
तकलीफें ही दिल की खेती में पड़ती जो खाद
अब जो निकले गेहूं-मक्के , देखो उनके स्वाद ।
अगला दिन बैसाखी है, करना मुझको Invite
Lets Hope Its a GOOD-Night!!!!
Thursday, November 12, 2009
बारिश कि मर्ज़ी
ये बारिश कि मर्ज़ी
जिसे चाहे छूले
किसे है पकड़ना ,
कहाँ रस्ता भूले !
वो अपने खिलौनों
को बादल है बकती
वो रस्ते छतों पर
जहाँ पैर रखती
वहीँ पिघली जाती है
थोडी झिझक में
सुबह नमीं में
पहाडों के चकमें।
ये पत्थर के ऊपर
ये पत्तों के ऊपर
भिखारी भी भीगे
भीगे पैरा-ट्रूपर
कहीं लोग तरसें
वहां ना ये बरसें
गरज के ये बोले
मेरे ऐसे तेवर!!
तेरे मेरे सर पर
ये बादल कि छतरी
मेरे बाल गीले
तेरी आँखें मठरी
पलक पर ये बूँदें
तू एक आँख मूंदे
फंसी तेरी टिप-टिप में
साँसों कि गठरी
ये बारिश कि मर्ज़ी
किसे दिल में भर ले
किसे रक्खे सूखा
किसे अपना कर ले
किसे धुप से अपनी
उलझन बताये
किसे चलते रहने की
टेंशन सुनाये
ये बारिश कि मर्ज़ी
बिजली के छाले
कहाँ खुल्ला रक्खे
कहाँ वो छुपा ले
वो हर एक दुआ
जो उसे थी बुलाती
वो उम्मीद का ख़ुद को
चेहरा बना ले!!!
जिसे चाहे छूले
किसे है पकड़ना ,
कहाँ रस्ता भूले !
वो अपने खिलौनों
को बादल है बकती
वो रस्ते छतों पर
जहाँ पैर रखती
वहीँ पिघली जाती है
थोडी झिझक में
सुबह नमीं में
पहाडों के चकमें।
ये पत्थर के ऊपर
ये पत्तों के ऊपर
भिखारी भी भीगे
भीगे पैरा-ट्रूपर
कहीं लोग तरसें
वहां ना ये बरसें
गरज के ये बोले
मेरे ऐसे तेवर!!
तेरे मेरे सर पर
ये बादल कि छतरी
मेरे बाल गीले
तेरी आँखें मठरी
पलक पर ये बूँदें
तू एक आँख मूंदे
फंसी तेरी टिप-टिप में
साँसों कि गठरी
ये बारिश कि मर्ज़ी
किसे दिल में भर ले
किसे रक्खे सूखा
किसे अपना कर ले
किसे धुप से अपनी
उलझन बताये
किसे चलते रहने की
टेंशन सुनाये
ये बारिश कि मर्ज़ी
बिजली के छाले
कहाँ खुल्ला रक्खे
कहाँ वो छुपा ले
वो हर एक दुआ
जो उसे थी बुलाती
वो उम्मीद का ख़ुद को
चेहरा बना ले!!!
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