Wednesday, February 10, 2010

थकता नहीं तू साले!!

साला थकता कभी नहीं तू
इधर उधर कि सुना वुना के
दायीं बाईं चिपका विपका के
बोल ही देता है दिल अपना

साले थक गए दुनिया वाले
तेरी मय्यत का इंतज़ार करते करते
ये तेरी आखिरी सांस भी
एक उम्र बना ली तूने

कभी कभी बहुत चिढ जाता हूँ तुझसे
सीखता नहीं पुराने ज़ख्मों से तू
बिलकुल भी तवज्जो नहीं देता
नए नए हरे हरे पाले पाले पुराने पुराने
लचक जाती है घडी की सुईयां
तेरी बेफिक्री, तमाशबीन नज़रिए की खातिर

और शायद तुझे ज्यादा साफ़ दिखते हैं
वो परदे जिनपे जमी हुई tomato sauce होती है
साले बुढापे पे समोसे के शौक से
मरने वालों को यूं, यूं चुटकियों में पहचान लेता है तू
बात तो कुछ है तुझमें !!!

साला थकता नहीं तू कभी
रोता है तो कमरे की ventilation का
पूरा ध्यान रखता है
अबे कमीने... आंसुओं में फेफरें महसूस करता है
और जब chicken फाड़ता है
तब मुर्गियों का ख्याल नहीं आता तुझे !!!

अपने दोगलेपन की दोगली दलीलें
खुद को दिन रात पट्टी पढाता है
मैंने ऐसा इसलिए किया क्यूंकि वगरह वगरह
मगर दिल दिल की बातें है
तू जानता है normal है तेरे लिए
एक साथ दो ख्यालों के सिक्के उछालना
हवा में रखता है सारे दांव अपने
ज़िन्दगी और जबान तेरी surety से महरूम !!!

क्या किया जाये तेरा ..तू खुश क्यूँ रहता है
ना तेरे दोस्त अच्छे ना तू ही दोस्त अच्छा
घाव इतने मिले के दो दिन में ढेर हो जाएगा
दांव इतने कटे के दो मिनट में कंगाल
पाँव इतने छिले के दो सेकंड में जूते की ख्वाहिश जाती रहेगी

फिर भी फिर भी तुझे ज़िंदा क्या रखता है
बद्सलूक है... तू ना तो वक़्त की इज्ज़त करता है
ना ही ज़िन्दगी की...
तू सवाल है मेरे लिए...
जिसे पूछते पूछते मैं थक गया हूँ शायद
मगर तू
थकता नहीं तू साले!!

3 comments:

harsh said...

excellent poetry!

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .

harsh said...

now i am serious...yaar poet ban ja...tera livelihood to chal hi jayega...par poems likhna mat band karna...its a gem art you possess...

i can understand because even i am talented that way...but i cant pursue that talent as my carreer...roti kahan se ayegi?...samjha ki nahi ???