Thursday, January 7, 2016

पहली मुलाक़ात

इस पेड़ पे पत्ते नहीं,
मगर इसके नीचे
फिर भी बेवड़े; पत्ते खेलते हैं |

"मान गए , शहर आप ही का है |"


ये इलाका traders  का है
क़ानून हफ्ते पे चलता है
कबूतरबाज के नाज़ बहुत हैं
लोग भी नाराज़ बहुत हैं

दूर दूर मज़दूर हैं
दलता मूंग-मसूर है
बहुत गरीबी हैं यहाँ
गरीबों का ही कसूर है |

बचपन मेरा यहां
इसी मंदिर के अहाते
मैं और मेरे लफ़ूट यार
नीचे, नंगे थे नहाते

"पहली मुलाक़ात है, जनाब!
बातें भटक रही हैं "

गलती है, मगर गलतियों की लगनी ही है झड़ी
आप सामने, ज़िन्दगी सामने पड़ी ।

"रोक लीजिये अपनी घडी
  बातें बड़ी-बड़ी ।"

मेरे बारे में आपने कुछ पुछा ही नहीं
क्या करूँ , चुप रहूँ
और आपके rejection list में शामिल हो जाऊं

"कौन सी rejection list? "

चलिए, मतलब first round  तो clear  है |
इतना बता दें आपको फिर,

नहाने के बाद ठण्ड बड़ी लगती है
नदी का किनारा, हवा सुबह की

थोड़ी कभी कभी हम भी पी के
इसी पेड़ के नीचे अपने
जुए के रोएं सहला दिया करते थे |

"समझ गयी दरअसल, 
 आ गयी अक्ल
 ये बेवड़े आपके दोस्त हैं!
 वही जो आपको कोसते हैं| "

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