Tuesday, December 4, 2007

जब समझोगी

जब समझोगी छोड़ा जिसे वो...
शब्दों से ऊपर था..
तो खुद चुप्पी साध लोगी..
महीनों तक...

हिम्म्मत तुम भी ना जुटा पाओगी...
चेहरा निखारने की...
खिली-खिली रहोगी..
कपड़ों के दायरों में.. अपने आप को..
सूंघ भी नहीं पाओगी....

छिछोरापन लगेंगी..
ये फिल्मों की कहानियां..

जब समझोगी मेरा प्यार क्या है...

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