Tuesday, December 4, 2007

कुछ तो अजीब है तुम में...

ये जो रोज़.. खाने की मेज़ पर...
धड़कन उभर आती है बाहर..
वक़्त लगता है समझने में..

सब्ज़िओं में स्वाद उसी का आता है..
"आज तुम्हारे लिए... chocolate cake लायी हूँ.."
"आज घर ज़रूर आना.. ममा ने invite किया है...
पनीर से काम चल जायेगा ना महाशय.?"
कैसे कैसे सवाल पूछती हो...

हर होटल, restaurent और ढाबे में..
तुम्हारी याद आती है..
अरे प्यार ऐसा थोड़े ही ना होता है..

प्यार में लोगों की भूख ख़त्म हो जाती है..
यहाँ double हो गयी है..
कुछ तो अजीब है तुम में...

1 comment:

kunal said...

ths one rocks man..
u are gr8...